बड़ा खुलासा: राजीव गांधी के कारनामें छुपाने के लिए NDA ने जलाए सरकारी दस्वावेज !

यह डील 1986 में हुई थी। इसमें इटली के कारोबारी ओत्तावियो क्वात्रोची को बड़ी दलाली दी गई थी। राजीव गांधी पर इस मामले में कई आरोप लगे थे। इस कांड के चलते 1989 में राजीव गांधी की सरकार भी गिर गई थी।

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नई दिल्ली: बोफोर्स तोप घोटाले में बड़ा खुलासा हुआ है। इस मामले में रिपब्लिक टीवी ने एक टेप जारी कर इसका खुलासा किया कि यूपीए सरकार ने बोफोर्स कांड से जुड़े तमाम दस्तावेजों को जलवा दिए थे, ताकि राजीव गांधी सरकार के समय हुए इस सबसे बड़े घोटाले के दाग से बचा जा सके। इस मामले में मौजूदा समय में कोई कोर्ट केस भी नहीं चल रहा है, क्योंकि साल 2005 में हाईकोर्ट ने इस मामले को बंद करने के आदेश दिए थे और मनमोहन सिंह की अगुवाई वाली सरकार ने इसपर चुप्पी साध ली थी। यही नहीं, सीबीआई ने भी जांच फिर से शुरू करने को लेकर कोई अपील नहीं की।

रिपब्लिक टीवी ने इस मामले में स्‍वीडन के जांच अधिकारी स्टेन लिंडस्टॉर्म के माध्‍यम से कई अहम खुलासे किए हैं। रिपब्लिक टीवी ने पूर्व चीफ इन्वेस्टिगेटर से बातचीत के टेप रिलीज किए हैं। लिंडस्टॉर्म स्वीडन इन्वेस्टिगेशन डिपार्टमेंट के चीफ थे और बोफोर्स घोटाले में चीफ इन्वेस्टिगेटर थे। लिंडस्टॉर्म अब 71 साल के हो गए हैं और उन्‍होंने कभी कोई टीवी इंटरव्‍यू नहीं दिया।

रिपब्लिक टीवी की इन्वेस्टिगेटिव स्टोरी में लिंडस्टॉर्म ने ये मुख्‍य दावे किए हैं। राजीव गांधी बोफोर्स डील में गैरकानूनी तरीके से हो रहे पेमेंट्स के बारे में जानते थे। राजीव गांधी ने स्वीडिश प्रधामंत्री से एक फ्लाइट में पेमेंट्स के बारे में चर्चा की थी। राजीव चाहते थे कि बोफोर्स डील के बदले स्वीडिश पीएम भी फंड्स रिसीव करें।

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लिंडस्टॉर्म के पास 350 डॉक्युमेंट्स थे। इनमें बैंक्स को दलाली के पेमेंट के इंस्ट्रक्शंस, हैंडरिटन नोट्स, मिनिट्स ऑफ मीटिंग्स और बोफोर्स के मैनेजिंग डायरेक्टर मार्टिन अर्ब्डो की डायरी शामिल थी। इस इन्वेस्टिगेटिव स्टोरी में जर्नलिस्ट चित्रा सुब्रमण्यम से बातचीत के बाद हुए खुलासे से सियासी हड़कंप मच गया है। बीजेपी प्रवक्ता संबित पात्रा ने सवाल उठाए हैं कि क्या यह संभव है कि राजीव गांधी केवल एक आवाज थे और इसके पीछे सोनिया गांधी का दिमाग था?

बता दें कि आर्मी के लिए 400 तोपें खरीदने की यह डील 1986 में हुई थी। इसमें इटली के कारोबारी ओत्तावियो क्वात्रोची को बड़ी दलाली दी गई थी। राजीव गांधी पर इस मामले में कई आरोप लगे थे। इस कांड के चलते 1989 में राजीव गांधी की सरकार भी गिर गई थी। हालांकि कांग्रेस ने हमेशा भूतपूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की भूमिका से मना किया है।

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