हमें समझना होगा कि हम सिर्फ और सिर्फ इंसान हैं…

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भारत विविधताओं का देश हैं। यहाँ लगभग हर धर्म, जाति, सम्प्रदाय और वर्ग के लोग रहते हैं। सभी लोग आपस में प्रेम और भाईचारे से रहते हैं। एक दूसरे की मान्यताओं, सभ्यताओं, संस्कृतियों और विचारों का पूरा सम्मान किया जाता हैं। यहाँ पर सभी लोग एक परिवार की तरह रहते हैं।
परन्तु कुछ नासमझ लोग ऐसा सोचते हैं कि उनका धर्म अच्छा हैं और दूसरों का धर्म बुरा हैं। वो ऊँची जाति से संबंध रखते हैं और दूसरे नीची जाति से। उनका सम्प्रदाय दूसरों से बेहतर हैं। वे उच्च वर्ग से हैं और बाक़ी लोग निम्न वर्ग से हैं। परन्तु सच्चाई तो यह हैं कि इस दुनिया में जन्म लेने वाला हर इंसान एक समान हैं। कोई भी किसी से ऊँचा या बड़ा नहीं हैं। पैदा होने पर हर इंसान बच्चा ही होता हैं पर बड़े होते होते वह हिन्दू मुसलमान सिख ईसाई बन जाता हैं। चाहे किसी भी धर्म का मानने वाला हो वह पैदा तो एक जैसे ही होता हैं, सभी का खून लाल हैं और एक दिन सभी को इस दुनिया को छोड़ना हैं कोई भी अमर नहीं हैं।
दुनिया का कोई भी इंसान एक दूसरे से भिन्न नहीं हैं फिर कैसे एक बड़ा एवं सही और दूसरा छोटा एवं गलत हो गया? हमारे बीच जो भी असमानताए हैं वो सिर्फ हमारी सोच में हैं न कि हमारी बनावट में। परमात्मा ने तो हमे सिर्फ एक ही सोच के साथ इस धरती पर भेजा था जो इंसानियत की सोच थी पर हमने इस धरती पर आकर अपने अपने हिसाब से सोच विकसित करली। हमे जरूरत हैं कि हम परमात्मा की दी हुई सोच से अपना जीवन जिए न कि हमारी स्वयं की सोच से।
दरअसल धर्म, जाति और संप्रदाय के नाम पर होने वाले झगड़े निरर्थक हैं। अगर मैं यह कहु कि मैं मुसलमान हूँ तो मैं गलत हूँ क्योंकि मैंने इस्लाम धर्म नहीं चुना हैं मैं तो मुसलमान इसलिए हूँ क्योंकि मैं एक मुसलिम परिवार में जन्मा हूँ। अगर मैं किसी हिंदू परिवार में जन्म लेता तो मेरा धर्म हिंदू होता। उसी प्रकार कोई हिंदू यह सोचता हैं कि वह हिंदू हैं तो वह गलत हैं क्योंकि वह हिंदू इसलिए हैं कि वह एक हिंदू परिवार में जन्मा हैं। अगर वह किसी मुस्लिम परिवार में जन्म लेता तो वह मुसलमान होता। और भले ही आप चाहे हिन्दू परिवार में जन्म ले अथवा मुस्लिम परिवार में जन्म ले परंतु आप क्या बनोगे वो आपकी पर्वरिश किन रीति रिवाजों में और किस माहोल में होती हैं उस पर निर्भर करता हैं।
इसी प्रकार हम जिस भी जाति, सम्प्रदाय या वर्ग से संबंध रखते हैं वह सिर्फ़ इसीलिए हैं क्योंकि हमने उस जाति, सम्प्रदाय या वर्ग विशेष में जन्म लिया हैं। अगर हम किसी और जाति, सम्प्रदाय या वर्ग में जन्म लेते तो उसे मानते होते। क्योंकि हम जो भी हैं वह संयोग से हैं ना कि अपनी स्वेच्छा से (Whatever we are, we are by Chance not by Choice) अत: हमें हक नहीं हैं कि हम अपने धर्म, जाति, सम्प्रदाय और वर्ग पर तो गर्व करें और दूसरों पर उंगली उठाए।
जब हमारे हाथ में इतना भी नहीं कि हम कहाँ जन्म ले सकें तो हमें कतई यह हक नहीं कि हम धर्म, जाति, सम्प्रदाय और वर्ग के नाम पर झगड़ा करें और एक दूसरे से नफरत करें। इसलिए जरूरी हैं कि हम कुछ भी बनने से पहले इंसान बनने की कोशिश करें, क्योंकि परमात्मा ने भी हमे इंसान ही बनाकर भेजा हैं इसलिए हम इंसानियत पर गर्व करें। इस दुनिया में आने का यही हमारा सबसे बड़ा मकसद हैं। अगर आप इस बात से सहमत हैं तो इसे दूसरों तक जरूर पहुँचाये।
Mohammad Juned Tak
Trainer, Motivator and Philosopher