झडा विवाद: क्यों है कर्नाटक सरकार की पहल से कांग्रेस नाराज ?

इस विवाद ने भाजपा और अन्य हिंदूवादी संगठनों को कांग्रेस पर हमला करने के लिए हथियार मुहैया करा दिया है। खासतौर पर उस वक्त जब हम गौरक्षकों की हिंसा के मुद्दे पर भाजपा को ही निशाने पर ले रहे हैं।

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नई दिल्ली: जम्मू-कश्मीर की तरह कर्नाटक भी अपने लिए अलग झंडे की मांग के लिए सड़क पर उतर आया है। वहीं दूसरी और इस मांग पर हाथों हाथ सिद्धारमैया सरकार ने नौ सदस्यीय समिति का गठन भी कर लिया। इस पूरे मसले पर कांग्रेस पार्टी अपनी ही सरकार काफी नाराज दिख रही है और पार्टी ने मुख्यमंत्री से सफाई की मांग भी की।

पार्टी के एक वरिष्ठ नेता के मुताबिक, ‘इस विवाद ने भाजपा और अन्य हिंदूवादी संगठनों को कांग्रेस पर हमला करने के लिए हथियार मुहैया करा दिया है। खासतौर पर उस वक्त जब हम गौरक्षकों की हिंसा के मुद्दे पर भाजपा को ही निशाने पर ले रहे हैं। लेकिन सिद्धारमैया सरकार ने हमारे लिए असहज स्थिति उत्पन्न कर दी है। इस विवाद का जल्द हल होना चाहिए।’

हालांकि इस सिलसिले में सिद्धारमैया सरकार और प्रदेश कांग्रेस का तर्क है कि वह भाजपा के हिंदुत्ववादी एजेंडे का मुकाबला ‘कन्नड़ गौरव’ के हथियार से करना चाहती है। इसीलिए उसने यह कदम उठाया है। लेकिन लगता है कि पार्टी नेतृत्व इस तर्क से सहमत नहीं है। तभी तो अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (एआईसीसी) के महासचिव और प्रदेश के प्रभारी केसी वेणुगोपाल कहते हैं, ‘कांग्रेस की ऐसी कोई नीति नहीं है कि राज्यों का झंडा अलग होना चाहिए। पूरे देश का सिर्फ एक ही झंडा है और वह है राष्ट्रीय ध्वज।’

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पार्टी की राज्य सभा सदस्य रेणुका चौधरी भी कहती हैं, ‘मुझे नहीं पता कि कर्नाटक को अपने लिए अलग झंडा क्यों चाहिए। लेकिन मैं मानती हूं कि एक देश का एक ही झंडा होना चाहिए।’ दूसरी ओर कांग्रेस की आशंका सही सिद्ध करते हुए शिवसेना ने उसके खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। शिवसेना सांसद संजय राउत ने आरोप लगाया है कि कांग्रेस की ‘यह कोशिश देश की अखंडता के खिलाफ है। कांग्रेस के नेतृत्व वाली सरकार राज्य में अलगाववाद को बढ़ावा दे रही है।’ यानी यह मसला कांग्रेस के लिए परेशानी बनने की पूरी संभावना रखता है।

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