अच्छे दिन: भारत छोड़कर भाग रहे हैं लोग, विकास के दावों का कड़वा सच

यूएन की एक रिपोर्ट के मुताबिक, करीब 48 लाख भारतीय विदेश में बसने के लिए लाइन में खड़े हैं। इनमें से 35 लाख लोग ऐसे हैं, जो अपनी योजना बना चुके हैं जबकि 13 लाख भारतीय विदेश जाने की तैयारियों में जुटे हुए हैं।

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नई दिल्ली: हाल ही में दुनिया की टॉप मैगजीन फॉर्ब्स ने दावा किया है कि भारत की मोदी सरकार दुनिया सबसे विश्वसनीय सरकार है। इस रिपोर्ट के मुताबिक, केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार पर भारत की जनता खूब भरोसा करती है। लेकिन अब यूनाइटेड नेशन की प्रवासन एजेंसी अंतरराष्ट्रीय प्रवास संगठन (आईओएम) की रिपोर्ट के आंकड़े चौका देंगे।

दरअसल यूएन की एक रिपोर्ट के मुताबिक, करीब 48 लाख भारतीय विदेश में बसने के लिए लाइन में खड़े हैं। इनमें से 35 लाख लोग ऐसे हैं, जो अपनी योजना बना चुके हैं जबकि 13 लाख भारतीय विदेश जाने की तैयारियों में जुटे हुए हैं। अपने देश को नापसंद करने के मामले में 51 लाख लोगों के साथ नाइजीरिया का नंबर पहला है इसके बाद 48 लाख लोगों के साथ भारत का नंबर है।

इस रिपोर्ट के मुताबिक 1.3 फीसदी या 6.60 करोड़ लोग अगले 12 महीने में स्थायी तौर पर दूसरे देश में बसने को तैयार हैं। सिर्फ भारतीयों के लिए ही नहीं बल्कि अन्य देशों के वयस्कों के लिए भी पहली पसंद अमेरिका और ब्रिटेन है। इन देशों के बाद लोग सऊदी अरब, फ्रांस, कनाडा, जर्मनी और दक्षिण अफ्रीका में बसना पसंद करते हैं।

किसी दूसरे देश में बसने की योजना बनाने वालों में से आधे लोग सिर्फ 20 देशों में रहते हैं। इसमें पहले नबंर पर नाइजीरिया और दूसरे नंबर पर भारत है। इसके बाद कांगो, सूडान, बांग्लादेश और चीन का नंबर आता है। पश्चिम अफ्रीका, दक्षिण एशिया और उत्तर अफ्रीका ऐसे क्षेत्र हैं, जहां सबसे अधिक लोगों के प्रवास करने की संभावना है।

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दूसरे देशों में बसने की योजना बनाने वाले ज्यादातर लोगों में पुरुष, युवा, अविवाहित, ग्रामीण इलाकों में रहने वाले और कम से कम माध्यमिक शिक्षा हासिल करने वाले वयस्क है। रिपोर्ट के अनुसार विकासशील देशों में हर तीसरा व्यक्ति विदेश में बसने की चाहत रखता है। आंकड़ों की मानें तो करीब 2.3 करोड़ लोग गंभीरता से इस तैयारी में लगे हुए हैं।

इस वजह से देश छोड़ना चाहते हैं भारतीय युवा:

देश में बढ़ते क्राइम, कम होते रोजगार एक बड़ा कारण माना जा रहा है। इसके अलावा जाति-धर्म पर हो रहे दंगे और हत्या भी इसकी एक वजह हो सकती है। कुछ का मानना ये भी है कि सरकार द्वारा यूथ को बड़े सपने तो दिखाती है लेकिन कोई उन्हें पूरा करने का कोई जरिया उपलब्ध नहीं करा रही। ऐसे में सभी वादे झूठे साबित हो रहे है। सोचने वाला विषय है क्या ये देश के लिए खतरें की घंटी है ये पीएम मोदी के अच्छे दिन।

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