7 महीने की बच्ची की बॉडी को कंधे पर 10km ले गया शख्स, नहीं मिली एम्बुलेंस

एम्बुलेंस ड्राइवर ने मांगे 800 रुपए, दूसरे ने कहा- पेट्रोल नहीं है

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कौशांबी: अगर आपको याद होतो पिछले साल 24 अगस्त को ओडिशा के कालाहांडी के सरकारी हॉस्पिटल से एम्बुलेंस और मॉर्चरी वैन नहीं मिलने पर दाना माझी को पत्नी की डेड बॉडी मजबूरन कंधे पर लेकर जाना पड़ा था। इस घटना का वीडियो वायरल हुआ था। इसके बाद कई ऐसे केस सामने आए लेकिन सुनवाई नहीं हुई।

अब ऐसी खबर उत्तर प्रदेश के कौशांबी से है। जहां एक शख्स को अपनी सात महीने की भांजी की डेड बॉडी को मजबूरन कंधे पर लादकर 10 किलोमीटर का सफर साइकिल से तय करना पड़ा। पीड़ित परिवार का आरोप है कि जब सरकारी हॉस्पिटल से एम्बुलेंस मांगी गई तो उन्होंने 800 रुपए मांगे। मामले के तूल पकड़ने पर डीएम मनीष कुमार वर्मा ने मजिस्ट्रियल जांच के आदेश दिए हैं।

मामला कौशांबी के सिराथू तहसील के मलाकसद्दी गांव का है। यहां के रहने वाले अनंत कुमार की 7 महीने की बेटी पूनम को सोमवार की सुबह अचानक उल्टी-दस्त होने लगा। उसे डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल लाया गया। इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई। परिजन का कहना है, “हम लोग एम्बुलेंस से अस्पताल गए थे। वापस घर जाने के लिए हमारे पास साधन नहीं था। हमने बेटी का शव घर ले जाने के लिए डॉक्टरों से मदद मांगी तो उन्होंने कोई मदद नहीं दी।”
एम्बुलेंस ड्राइवर ने मांगे 800 रुपए, दूसरे ने कहा- पेट्रोल नहीं है
पूनम के पिता अनंत कुमार का कहना है कि जब मैं एम्बुलेंस के ड्राइवर के पास गया तो उसने 800 रुपए मांगे। पैसे न होने की बात कहने पर वो शव को ले जाने को राजी नहीं हुआ। “इसके बाद डॉक्टरों ने मुझे शव वाहन का नंबर दिया। मैंने उस पर फोन किया तो ड्राइवर ने कहा कि वाहन में पेट्रोल नहीं है।” परिवार वालों के मुताबिक, इसी बीच पूनम का मामा बृजमोहन हॉस्पिटल आया। उसने अपने जीजा अनंत को रोते-बिलखते देखा। इससे दुखी होकर उसने अपनी भांजी पूनम के शव को कंधे पर उठाया और साइकिल से 10 किमी दूर स्थित गांव पहुंचा।
डॉक्टर और एम्बुलेंस ड्राइवर पर केस दर्ज करने का आदेश
मामले के तूल पकड़ने के बाद जिला प्रशासन सकते में आ गया। आनन-फानन डीएम ने सीएमओ डा.एसके उपाध्याय को ड्यूटी पर तैनात डॉक्टर और एम्बुलेंस ड्राइवर पर मुकदमा दर्ज कराने के आदेश दिया।
इटावा में बेटे की बॉडी कंधे पर लेकर घर गया था पिता
इससे पहले 3 मई को इटावा में एक शख्स को अपने 15 साल के बेटे की डेड बॉडी को सरकारी हॉस्पिटल से कंधे पर लादकर घर ले जाना पड़ा था। विक्टिम शख्स का आरोप था कि डॉक्‍टरों ने बॉडी को ले जाने के लिए न तो स्‍ट्रेचर और न ही एम्बुलेंस मुहैया कराई।

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