हनुमानगढ़, 23 अप्रैल। जिला प्राइवेट आईटीआई संस्थाओं हनुमानगढ़ द्वारा बुधवार को मुख्यमंत्री राजस्थान को एक ज्ञापन भेजा गया जिसमें निजी आईटीआई संस्थानों के संचालन में आ रही विभिन्न समस्याओं के शीघ्र समाधान की मांग की गई है। यह ज्ञापन उपनिदेशक (प्रशिक्षण), प्राविधिक शिक्षा, क्षेत्रीय कार्यालय, हनुमानगढ़ के माध्यम से भेजा गया। संघ के अध्यक्ष भूपेंद्र लाम्बा द्वारा दिए गए ज्ञापन में मुख्य रूप से पाँच प्रमुख मुद्दे उठाए गए हैं। सबसे पहले उन्होंने राज्य में पिछले 20 वर्षों से आईटीआई प्रशिक्षण फीस में कोई वृद्धि नहीं होने पर चिंता जताई है। ज्ञापन में बताया गया कि जहाँ अन्य राज्यों में यह फीस 35,000 रुपये प्रति वर्ष है, वहीं राजस्थान में यह महज 12,000 रुपये निर्धारित है। वर्ष 2019 में तत्कालीन आयुक्त डॉ. समित शर्मा द्वारा फीस बढ़ाने संबंधी पत्र भी जारी किया गया था, जो आज तक लंबित है। प्रवेश सत्र 2024 की प्रक्रिया के लंबित होने का है।
उन्होंने मांग की कि बी.एड. की तरह आईटीआई प्रवेश प्रक्रिया को केंद्रीकृत और सरलीकृत किया जाए। तीसरे बिंदु में कोर्स मैपिंग और छात्रवृत्ति की प्रक्रियाएं समय पर शुरू करने की आवश्यकता जताई गई है। DGET पोर्टल द्वारा छात्रों को दस्तावेज सीधे उपलब्ध कराने की व्यवस्था पर आपत्ति जताई गई है, जिससे संस्थानों को आर्थिक नुकसान और सत्यापन में दिक्कतें हो रही हैं। संघ ने मांग की कि सभी दस्तावेज संस्थान पोर्टल के माध्यम से ही जारी किए जाएं। सबसे गंभीर मुद्दे में 24 दिसंबर 2024 को शासन सचिव द्वारा किए गए औचक निरीक्षणों को पक्षपातपूर्ण और एकतरफा बताते हुए 684 संस्थानों को दिए गए कारण बताओ नोटिसों को निरस्त करने की मांग की गई है। संघ का कहना है कि एक दिन के निरीक्षण से किसी भी संस्थान की गुणवत्ता का मूल्यांकन नहीं किया जा सकता।
संघ ने ज्ञापन के माध्यम से राज्य सरकार से आईटीआई संस्थानों के प्रति दण्डात्मक रवैया छोड़कर सहयोगात्मक नीति अपनाने की अपील की है ताकि “मेक इन इंडिया” और “स्किल इंडिया” जैसी योजनाएं सफल हो सकें।
इस मौके पर जिलाध्यक्ष भूपेंद्र लाम्बा, राजेन्द्र कुमार, सुरेन्द्र कुमार, कमल, दलीप शर्मा, प्रवेश नेहरा, सुबोध गोस्वामी, सुरेन्द्र कुमार, राहुल सहारण, नवल सिह, अश्वनी कुमार, संदीप, सुनिल कुमार, मनिंदर सिह आदि समस्त प्राइवेट आईटीआई संचालक उपस्थित रहे।
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